कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अनदेखा सामाजिक ख़तरा

तीन महीने पहले, बहुत दिनों के बाद मैं एक दोस्त के घर गया | हम पहले भी दो बार आमने-सामने मिल चुके थे लेकिन यह मुलाकात हम दोनों के लिए बहुत मार्मिक बातचीत होने वाली थी | उसके घर पर हमने काफी देर तक बातें कीं और एक-दूसरे से अपने अनुभव साझा किए | हमने साथ में खाना खाया, मुस्कुराए और हंसी-मज़ाक किया | उसके घर से निकलने से पहले, हमने एक-दूसरे से हाथ मिलाया और एक-दूसरे को कसकर गले लगाया | मैं चेहरे पर मुस्कान और दिल में गहरी संतुष्टि के साथ उनके घर से निकला |

हमारी बातचीत के दौरान, मेरे दोस्त ने कुछ ऐसा कहा जिसकी मुझे बिल्कुल भी आशा नहीं थी | हालाँकि वह ज़्यादा पढ़ा-लिखा नहीं है, लेकिन मैं जानता हूँ कि वह बहुत पढ़ता है | उसने कहा, "आमने-सामने संवाद करना एक संप्रेरक/हार्मोन बदलने वाला अनुभव है" दरअसल, आमने-सामने का संचार उसमें सहभागी व्यक्तियों के शरीर में संप्रेरक/हार्मोन को बदलने में सक्षम है | उनके उस आंखें खोल देने वाले वाक्य ने मुझे यह लेख लिखने के लिए बहुत प्रेरित किया है | आपमें से कई लोगों ने इसके बारे में पढ़ा है लेकिन मैं इस लेख में जो जानकारी देने जा रहा हूं वह शायद आप पहली बार पढ़ने जा रहे हैं |

हममें से अधिकतर लोग आजकल अपने व्यवसाय, आजीविका, कारोबार और दिन भर के कार्यों में बहुत व्यस्त रहते हैं | इसलिए, आमने-सामने की बातचीत की बारंबारता और अवधि कम हो गई है | अब हमारी अधिकतर बातचीत इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होती है यानी फोन कॉल, टाइप की गई चैट, वीडियो कॉल या ई-मेल | सामाजिक प्राणी होने के कारण हम पहले से ही बहुत कुछ खो रहे हैं और भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होने वाला संचार हमें और भी अधिक नुकसान पहुँचा सकता है | लेकिन आख़िर में कैसे ? चलिए, समझता हूँ |

आमने-सामने का आदान-प्रदान ही मानव संचार का मूल तरीका है | आमने-सामने का संचार एक-दूसरे के शब्दों का लेन देन करने या उन्हें से सुनने से परे है | चाहे मुँह से बातचीत की जा रही हो या ना हो लेकिन इस प्रकार के संचार में हम अनजाने में गैर-मौखिक संकेतों (चेहरे के हावभाव, शारीरिक हावभाव और आवाज का स्वर) की एक विस्तृत श्रृंखला का आदान-प्रदान करते हैं | कुछ सीमाओं के होते हुए भी पिछले लाखों वर्षों में हमने इसी तरह एक-दूसरे के साथ आमने-सामने बातचीत की है |

" कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस युग में, आप जिस व्यक्ति के साथ आमने-सामने की बातचीत कर रहे हैं उसकी शारीरिक भाषा को पढ़ना ही ज़रूरी नहीं लेकिन यह पक्का करना भी ज़रूरी है कि आप जिस व्यक्ति से इलेक्ट्रॉनिक रूप से संवाद कर रहे हैं वह एक वास्तविक या जीवित व्यक्ति है…"

इलेक्ट्रॉनिक संचार ने निश्चित रूप से हमें समय और भौगोलिक दूरी के बीच के विशाल अंतर को पाटने में मदद की है | हालाँकि, इलेक्ट्रॉनिक संचार मानव संपर्क में एक बड़ा गैर-मौखिक दिवार खड़ी करता करता है | विशेष रूप से टाईप कर के की गई बातचीत ने समृद्ध गैर-मौखिक संकेतों को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है जो आमने-सामने की बातचीत, वीडियो कॉल या फोन कॉल के दौरान आदान-प्रदान किए जा सकते हैं | यह कैसा भयानक आकाल है ?

हालाँकि वीडियो कॉल में एक-दूसरे को देखने की सुविधा मिलती देती है, लेकिन हम एक-दूसरे को उसी तरह नहीं छू सकते हैं जिस तरह हम आमने-सामने संचार के दौरान एक-दूसरे को छू सकते हैं | इसके अलावा, अधिक से अधिक हम केवल दूसरे व्यक्ति का चेहरा और ऊपरी शरीर ही देख सकते हैं | और तो और, इलेक्ट्रॉनिक संचार के दौरान कई जैविक, भौतिक, शारीरिक और गैर-मौखिक संकेत उपलब्ध नहीं होते हैं | उदाहरण के लिए, हम एक-दूसरे के शरीर की गंध नहीं सूंघ सकते |

जैसा की हम में से अधिकतर लोग वीडियो कॉल, फोन पर गपशप, संदेश टाइप कर के चैट और ई-मेल लिखने में अधिकतर रूप से व्यस्त हैं | इसलिए यह बिल्कुल स्पष्ट है कि हम में से कई लोगों में नियमित और सामान्य रूप से होने वाली आमने-सामने की बातचीत में विभिन्न प्रकार के गैर-मौखिक संकेतों को पहचानने और सटीक रूप से पढ़ने की प्राकृतिक क्षमता (और कला) तेजी से ख़त्म हो रही है | अनजाने में हम एक बड़े संकट की ओर बढ़ रहे हैं |

आज दुनिया भर में सभी उम्र के लोगों के लिए अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (व्हाट्सएप सहित !) पर खाता (account) होना बहुत आम बात है | एक ही समय पर हजारों या लाखों लोगों से जुड़ने और संवाद करने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हमारे स्मार्टफोन पर कई एप्लिकेशन (ऐप) उपलब्ध हैं | आज हम एक हजार मील दूर रहने वाले किसी व्यक्ति के इस तरह से बातचीत कर सकते हैं मानो हम उसके सामने हों |

समय की जरूरत या केवल एक बुरी लत ?

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) प्रणालियों के तेजी से विकास के साथ, हम बातचीत के पहले कभी न सोचे गए चरण में प्रवेश कर सकते हैं जिसमें वास्तविकता को भ्रम से अलग करना मुश्किल या असंभव हो सकता है | हम में से अधिकतर लोगों की पहले से ही विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अकल्पनीय मात्रा में निजी जानकारी उपलब्ध है | इसलिए हम अपनी व्यक्तिगत जानकारी के आधार पर बनाए गए डीपफेक, नकली या गलत तरीके से कॉपी की गई छवियों और वीडियो के कारण भारी सामाजिक क्षति को आमंत्रित कर रहे हैं |

विशाल भाषा प्रतिरूप (Large Language Models) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता चैटबॉट्स के लिए रहते, निकट भविष्य में यह जानना बहुत कठिन या असंभव होगा कि जिस व्यक्ति के साथ आप कुछ दिनों से निजी तौर पर चैट कर रहे हैं वह वास्तविक व्यक्ति है या नहीं | इसकी अत्यधिक संभावना है कि एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता चैटबॉट किसी वास्तविक व्यक्ति के शब्द और बातचीत के तरीक़े की पूरी तरह से नकल करेगा जिसे आप वर्षों से अच्छी तरह से जानते हैं | ऐसे अकल्पनीय स्तर तक की नकल किसी व्यक्ति पर भ्रामक, भड़काऊ और बहाकऊ प्रभाव डालती है |

किसी को धोखा देना, भड़काना और बहकाना हमारे पुरे समाज के लिए बेहद खतरनाक है जो पहले से ही कई कारणों से बंटा हुआ है | इसका सबसे बुरा हिस्सा यह है कि हम ऐसे नकली, आभासी या गहरेझूठे व्यक्ति को उसके द्वारा किए गए अपराध के लिए या हमें अपराध करने के लिए उकसाने के लिए पकड़ या दंडित नहीं कर सकते हैं | तो हम सोच भी नहीं सकते कि इतना नकली, आभासी या गहरेझूठा व्यक्ति हमें कितना नुकसान पहुंचा सकता है |

" आज हमारे लिए आमने-सामने बातचीत में पहले से कहीं अधिक समय बिताते हुए परिवारजनों, मित्रों, सहकर्मियों, पड़ोसियों और समुदायों के साथ बहुत मजबूत सामाजिक संबंध बनाना आवश्यक है |"

कई वैज्ञानिक और विशेषज्ञ कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणालियों को हमारे विरुद्ध काम करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं | लेकिन कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणालियों की तेजी से होते विकास को देखते हुए, यह अभी भी 100% पक्का नहीं है कि उन्हें वास्तव में नियंत्रण में लाया जा सकता है | दूसरी ओर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि डीपफेक, गहरीझूठी और अचूक नक़ल का उपयोग कोई असामाजिक व्यक्ति लोगों को धोखा देने, भड़काने और मनाने के लिए कर सकता है |

विशेष रूप से, यदि कोई व्यक्ति खुद को समाज द्वारा वंचित, नापसंद, अनसुना या कम आंका गया समझता है तो ऐसे व्यक्ति को असामाजिक अपराध या गतिविधियों को करने के लिए बहुत आसानी से लुभाया जा सकता है | एक बार विश्वास हासिल हो जाने के बाद, उस व्यक्ति को समाज के खिलाफ कुछ भी करने के लिए एक बहुत ही चतुर आभासी, डीपफेक या गहारेझूठे व्यक्ति द्वारा आसानी से उकसाया, गलत जानकारी दे कर बहकाया या राजी किया जा सकता है |

शायद, इस सामाजिक रूप से चुनौतीपूर्ण युग में हमें इलेक्ट्रॉनिक संचार का केवल गंभीर आवश्यकता के लिए ही प्रयोग करते हुए नियमित रूप से आमने-सामने चर्चा, बातचीत या विचारविमर्श में जितना संभव हो उतना समय व्यतीत करना चाहिए | यह निश्चित रूप से हमें वास्तविक सामाजिक लाभ मिलेंगे और लोगों को पढ़ने की क्षमता फिर से हासिल होगी जिसकी हम में से अधिकतर लोगों के पास कई वर्षों से कमी है |

(जाने या अनजाने में) आमने-सामने की बातचीत के दौरान विभिन्न गैर-मौखिक संकेतों का आदान-प्रदान करते हुए और उन्हें पढ़ते हुए, अभिवादन/नमस्ते करना, मुस्कुराना, हँसी-मज़ाक करना, हाँथो से इशारे करना, आँख से आँखे मिलाना, अनजाने में शारीरिक भाषा की नकल करना, एक-दूसरे के बगल में बैठना/खड़ा रहना इन सभी क्रियाओंका का हमारे मस्तिष्क और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है | निश्चित रूप से, इसे इलेक्ट्रॉनिक संचार के द्वारा हासिल नहीं किया जा सकता है |

क्या आप किसी आभासी व्यक्ति से संवाद कर रहे हैं ?

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस युग में, आप जिस व्यक्ति के साथ आमने-सामने की बातचीत कर रहे हैं उसकी शारीरिक भाषा को पढ़ना ही ज़रूरी नहीं लेकिन यह पक्का करना भी ज़रूरी है कि आप जिस व्यक्ति से इलेक्ट्रॉनिक रूप से संवाद कर रहे हैं वह एक वास्तविक या जीवित व्यक्ति है | क्योंकि हम किसी डीपफेक, गहारेझूठे या अस्तित्वहीन व्यक्ति को उसके हानिकारक धोखे या कांड के लिए पकड़ नहीं सकते, उसकी पूछताछ नहीं कर सकते और/या सजा नहीं दे सकते |

आज हमारे लिए आमने-सामने बातचीत में पहले से कहीं अधिक समय बिताते हुए परिवारजनों, मित्रों, सहकर्मियों, पड़ोसियों और समुदायों के साथ बहुत मजबूत सामाजिक संबंध बनाना आवश्यक है | क्या हम उन्हें बनाने जा रहे हैं ? भले ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता हमें गुलाम न बनाए और/या मार न डाले, लेकिन यह बड़ा प्रश्न सदा ही हमारे सामने खड़ा रहेगा |

संभावित रूप से हानिकारक गहरेझूठे (DeepFake) सम्बन्धो को मजबूत, रचनात्मक, सहानुभूतिपूर्ण और गहरेसच्चे (DeepReal) सम्बन्ध बनाकर काफी हद तक टाला जा सकता है |

[#खतरे की चेतावनी: कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ते प्रभाव के चलते, केवल वास्तविक या जीवित लोगों से चर्चा या बातचीत के माध्यम से लोकतंत्र के जीवित रहने की आशा रक्खी जा सकती है |]

Comments